आधी आबादी की पूरी क्षमता
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हिमाचल प्रदेश पुलिस की महिला कर्मचारियों का दल महिला दिवस पर प्रदर्शन करते हुए. (PTI)
हमारा देश भी वैश्विक ताकत बनने की राह पर है. हमने अपनी तरक्की और समाज में आए बदलाव के साथ-साथ ऐसाा माहौल तैयार करने मे सफलता हासिल की है जहां महिलाएं पूरी तरह सशक्त हों. उम्मीद यह है कि परिवार, समाज व देश को लॉ एंड आर्डर, शिक्षा, अथॆव्यवस्था की बेहतरी में महिलाओं के योगदान की कीमत समझ में आ जाएगी.
महिलाओं को घर बाहर सभी जगहों पर चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. शिक्षा और हुनर को अपना हथियार बना कर भले ही देश की आधी आबादी ने अपनी कुशलता का परचम लहरा दिया है, पर आगे इन्तहां और भी हैं. बहुत से छोटे छोटे गांवों शहरों की महिलाएं जो बङे शहरो में परिवार के साथ रहने आती हैं वो पूरे परिवार के साथ मिलकर छोटे बड़े काम करते हुए गुजारा करने की कोशिश करते हैं. ये महिलाएं असंगठित वकॆफोसॆ का हिस्सा हैं. गांवों की अथॆव्यवस्था में ऐसी महिलाएं अहम भूमिका अदा करती हैं. ये महिलाएं वकॆफोसॆ का हिस्सा है. एक बेहद उपयोगी और समर्पित लाभकारी पर कम शिक्षित या अनपढ़ हिस्सा कह सकते हैं.
वकॆफोसॆ के दूसरे हिस्सा को परिभाषित करना थोड़ा आसान है. संगठित क्षेत्र में शिक्षा के दम पर अपना परचम लहराने वाली महिलाएं सरकारी सेवा, सेना में, शिक्षा के क्षेत्र में, साफ्टवेयर इंडस्ट्री मे तथा साहित्य व कला के क्षेत्र में भी अपना योगदान दे कर नाम रोशन कर रही हैं. मेडिकल, हॉस्पिटेलिटी से लेकर कर बैंकिंग में उनकी हिस्सेदारी दिखाई देती है. यहां तक की पुरुष प्रधान माने जाने वाले रेलवे चालक, कैब चालक और ऑटो चालक बनने मे भी महिलाएं आगे आई हैं. एयरलाइंस में भी पायलट बनने में महिलाओ की संख्या मे बढ़ोतरी हुई हैं. साफ्टवेयर इंडस्ट्री में भी महिलाएं वकॆफोसॆ में 30% हैं. तन्ख्वाह, पोजीशन या सुविधाओं के हिसाब से अपने पुरुष सहयोगियो से पीछे नहीं हैं. आमदनी बढ़ने का असर परिवार के रहन-सहन और खचॆ करने की ताकत पर भी पड़ा है.
कृषि और कृषि क्षेत्र से जुड़े क्षेत्रो के वकॆफोसॆ का बड़ा हिस्सा महिलाएं है. इस क्षेत्र में भी महिलाओं की हिस्सेदारी तकरीबन 90% है. वल्डॆबैंक की एक रिपोर्ट के मुताबिक खेतों में महिलाएं कुल मजदूरी की 55% से 66% तक की भागीदारी निभाती हैं. डेयरी प्रोडक्शन मे उनकी भागीदारी 94% है. धीरे-धीरे ही सही लेकिन वकॆफोसॆ में महिलाओ की भागीदारी को न सिर्फ अहमियत दी गई बल्कि विश्व व समाज में भी अपना योगदान देने के लिए सराहा गया. महिलाओं ने राजनीति में भी अपना योगदान शुरू से ही दिया है. पूरे विश्व में महिलाएं राजनीति के क्षेत्र में अपना अहम भूमिका निभाती नजर आ रही हैं. चाहे वो फोब्सॆ मैगजीन के लिस्ट में सशक्त महिला के तौर पर चुनी हुई कमला हैरिस हों, निमॆला सीतारमण, रोशनी नादर मल्होत्रा और किरण मजूमदार हों. इस लिस्ट में रेणुका जगतयानि भी रैंक 98 पर है. इन महिलाओ ने खुद को साबित किया है.हमारा देश भी वैश्विक ताकत बनने की राह पर है. हमने अपनी तरक्की और समाज में आए बदलाव के साथ-साथ ऐसाा माहौल तैयार करने मे सफलता हासिल की है जहां महिलाएं पूरी तरह सशक्त हों. उम्मीद यह है कि परिवार, समाज व देश को लॉ एंड आर्डर, शिक्षा, अथॆव्यवस्था की बेहतरी में महिलाओं के योगदान की कीमत समझ में आ जाएगी. इसके साथ-साथ महिलाओं को भी अपने विचारों में बदलाव लाने की जरुरत होगी. उन्हें यह समझना ही होगा की सितारों की जगह सिर्फ उन्के आंचल में ही नहीं, आसमान मे भी है, जिन्हें छू कर आने की काबिलियत उनमें है. (डिस्क्लेमर: यह लेखक के निजी विचार हैं.)
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