कर्मचारियों की नाराजगी की भेंट चढ़ा स्वच्छता सम्मान समारोह
आयुक्त से नाराज कई कर्मचारियों ने कार्यक्रम से बनाई दूरी, आईईसी की टीम के सदस्य भी रहे नदारद
उज्जैन। स्वच्छता सर्वेक्षण में उज्जैन को मिली सफलता को लेकर आयोजित स्वच्छता सम्मान समारोह में नगर निगम आयुक्त अंशुल गुप्ता की कार्यप्रणाली का असर साफ दिखाई दिया। 3 हजार लोगों के लिए आयोजित इस समारोह में 1 हजार लोग भी उपस्थित नही हो पाये। कहीं ना कहीं सफाईकर्मियों से लेकर कई अन्य कर्मचारी और अधिकारी भी अनबने मन से कार्यक्रम में केवल दिखावे के लिए उपस्थित दर्शाते दिखाई दिये।
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ग्रांड होटल परिसर में आयोजित स्वच्छता सम्मान समारोह वैसे तो सुबह 11 बजे शुरू होना था, लेकिन कर्मचारियों और अधिकारियों की कम उपस्थित के कारण कार्यक्रम अपने तय समय सीमा पर शुरू नही हो सका, लगभग सवा घंटे देरी से शुरू हुए कार्यक्रम में भी कर्मचारियों की उपस्थिति सम्मानजनक नजर नही आई। खासबात यह है कि स्वच्छता अभियान में अहम भूमिका निभाने वाले सफाईकर्मी से लेकर आईसीसी टीम के सदस्य जिन्होंने लगातार फील्ड में रहकर लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूकता किया वह भी नाराज नजर आई।
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चिंता में दिखाई दिये जिम्मेदार
नगर निगम आयुक्त की कार्यप्रणाली और सख्त मिजाजी से लगातार नगर निगम हित में कार्य करने वाले कर्मचारी और अधिकारी भी उनके निशाने पर है। जिसका असर रविवार को आयोजित कार्यक्रम के शुरूआती दौर में ही नजर आने लगा था। जब तय समय पर भी कार्यक्रम में कर्मचारियों की संख्या कम दिखाई दी तो यहां कार्यक्रम की कमान संभालने वाली अधिकारियों के माथे पर चिंता साफ दिखाई दी, उसके बाद अधिकारियों ने अपने स्तर पर फोन कॉल कर निगम कर्मचारियों को कार्यक्रम में उपस्थिति दर्ज करवाने के लिए प्रयास शुरू किये।
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3 हजार का आयोजन, पहुंचे 1 हजार भी नही
आयुक्त अंशुल गुप्ता को अंदाजा भी नही था कि उनकी सख्त कार्यप्रणाली का असर स्वच्छता सम्मान समारोह में कर्मचारी गैर उपस्थित होकर दर्शायेंगे। यहीं कारण रहा कि नगर निगम में लगभग 3 हजार से अधिक लोगों का स्टाफ है, जिनमें स्थाई, अस्थाई सफाईकर्मियों, कर्मचारियों से लेकर निगम के सभी अधिकारी-कर्मचारी शामिल है, लेकिन कार्यक्रम में 1 हजार लोगों की भी उपस्थिति नही हो पाई, जबकि इससे पहले जितने भी आयोजन हुए वहां कर्मचारियों की भीड़ साफ दिखाई देती थी।
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दो कारण नाराजगी के…
आयोजित कार्यक्रम में इस बात की भी चर्चाएं चली कि नगर निगम आयुक्त अंशुल गुप्ता से कर्मचारियों की नाराजगी के केवल दो कारण है, पहला वह अपने अधिनस्थ कर्मचारियों पर अभी तक भरोसा नही कर पा रहे है, दूसरा उनके सख्त तरीके से बोलने के अंदाज से भी उनके विभाग के ही लोग उनसे दूरी बनाते नजर आ रहे है। कर्मचारियों का कहना है कि वह भले ही छोटे कर्मचारी है, लेकिन उनका भी मान सम्मान है। हो सकता है कि कोई लापरवाह, भ्रष्ट हो, लेकिन इसका यह मतलब नही कि सभी को एक ही नजर से देखा जाये।
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कर्मचारियों के साथ नही खाया खाना
खासबात यह है कि इसके पहले स्वच्छता सर्वेक्षण को लेकर जो भी आयोजन हुए, उनमें तात्कालीन निगमायुक्त द्वारा निगम कर्मचारियों के साथ-साथ अधिकारियों के साथ सामुहिक रूप से खाना भी खाया जाता है, लेकिन इस बार आयुक्त ने वीआईपी के लिए जो व्यवस्था मंच के पीछे की थी, वहीं पर अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई, जबकि उन्हें कर्मचारियों का मनोबल बढ़ाने के लिए कर्मचारियों के बीच मौजूद रहकर खाना भले ही ना लेकिन मिठा मुंह तो करना ही था। लेकिन ऐसा इस बार नजर नही आया।
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