फर्जी इंश्योरेंस पॉलिसी के मामले में नहीं हुई अब तक कोई कार्रवाई
आखिरकार कौन बचा रहा है योजना बनाने वालों को
उज्जैन। Thu-26 Nov 2020
नेशनल इंशोरेंस कम्पनी लिमिटेड द्वारा पिछले कई वर्षों से अवैध पॉलिसियां जारी करने का कारोबार धड़ल्ले से जारी है। कंपनी के अधिकारियों की हिम्मत इतनी बड़ी हुई है कि शिकायत कर्ता द्वारा पॉलिसी फर्जी कहे जाने की बात पर उसे पैसा भी वापस कर दिया जाता है। इस संपूर्ण मामले की जब पड़ताल की तो कई चौकाने वाले तथ्य सामने आए है। सीधे-सीधे बीमा कंपनी ने फर्जी पॉलिसी जारी की और उसके फर्जी साबित हो जाने के बाद शिकायतकर्ता को पैसा भी डीडी के माध्यम से वापस कर दिया गया। इससे साफ जाहिर से की कंपनी खुद मान रही है कि उसने फर्जी पॉलिसी जारी की है बावजूद इसके अभी तक किसी भी अधिकारी पर किसी भी तरह की कारवाई हेड आॅफिस इंदौर द्वारा मामला संज्ञान में लाए जाने के बावजूद नहीं की गई है।
बीते कुछ समय पहले महिदपुर निवासी मोहम्मद जमील पिता मोहम्मद जकी कुरैशी के वाहन क्रमांक आरजे 17 जीए 4779 का इंशोरेंस एजेंट मोहम्मद जुबेर द्वारा कराया गया और उसका बीमा शुल्क 54 हजार 813 रूपए एनईएफटी के माध्यम से 13 सितम्बर 2019 को नेशनल इंशोरेंस के खाते में जमा करवाए गए। इस भुगतान के बाद जमील को एक वर्ष की बीमा पॉलिसी जो कि 23 सितम्बर 2020 तक वैध थी जारी कर दी गई किन्तु प्रार्थी जमील द्वारा शंका होने पर उसकी जांच कराई तो उक्त पॉलिसी फर्जी पाई गई तत्काल मामले की शिकायत एसपी को की गई तो एजेन्ट ने जमील को धमकाया और शिकायत वापस लेने का दवाब बनाया गया। खास बात यह है कि संपूर्ण मामला नेशनल इंशोरेंस कम्पनी के डिविजनल मैनेजर के संज्ञान में होने के बावजुद इसमें लापरवाही बरती गई। नेशनल इंशोरेंस कंपनी ने बकायदा शिकायतकर्ता मोहम्मद जमील को एक पत्र लिखा जिसमें डीडी क्रमांक 001356 दिनांक 16 सितम्बर 2020 का हवाला देते हुए कहा कि आपकी शिकयत पर हम अपने भुतपूर्व एजेंट जुबेर खान के निवेदन पर आपको राशि भेज रहे है कृपया संतुष्टी होने के बाद पावती दें देवे। इससे पत्र से साफ जाहिर है कि कंपनी ने यह माना की उन्होने पॉलिसी फर्जी जारी की थी, और अब पैसा लौटा रहे है। उनकी इस स्वीकारोक्ति और इंदौर आॅफिस के संज्ञान में आने के बावजूद किसी भी अधिकारी पर कोई कार्रवाई न होना बता रहा है कि पूरे कुंए में भांग खुली हुई है। सुत्र बता रहे है कि सुनियोजित ढ़ंग से पिछले काफी समय से इन कृत्यों को अंजाम दिया जा रहा है और जांच हुई तो करोड़ो का मामला सामने आ सकता है।
मामला सामने के बाद जांच की गई और रिपोर्ट कंपनी के विजिलेंस डिपार्टमेंट को भेजी गई है। वंहा से जानकारी का जवाब मिलते ही कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
चिरंजीव दास, डीजीएम नेशनल इंशोरेंस कंपनी, इंदौर
– वह डीडी जिससे शिकायतकर्ता को पैसा वापस किया गया।
– शिकायतकर्ता का बैंक स्टेटमेंट जिसमें डीडी जमा किया हुआ दिख रहा है।
– इंशोरेंस कम्पनी का वह पत्र जिसमें उनकी स्वीकारोक्ति सहित पैसा वापस किए जाने की बात शामिल है।
– लगातार मामले में समाचार सामने आने के बाद विजिलेंस ने शुरू की जांच
फर्जी पॉलिसी से जुड़ा मामला सामने आने पर नेंशनल इंशोरेंस कंपनी इंदौर के डीजीएम चिरंजीव दास ने एक्शन लेते हुए इस मामले को लेकर हुई शिकायत को गंभीरता से लिया और रिपोर्ट कंपनी की विजिलेंस डिपार्टमेंट को सौंप दी गई है। जिसकी जांच में कंपनी से जुड़े दोषी अधिकारियों और एजेंटों का खुलासा होने वाला है।
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