फर्जी हस्ताक्षर करने वाले को बनाया जांच अधिकारी
तत्कालीन निगम आयुक्त चौधरी ने लोकायुक्त को लिखा है पत्र, मामले में निगम को भेजना है रिपोर्ट
उज्जैन.
नगर निगम में जिम्मेदार अधिकारियों को गुमराह करते हुए कुछ शातिर अधिकारी अपनी मनमानी करने पर फिर उतारू हो चुके हैं। जिस अधिकारी पर तत्कालीन निगमायुक्त चौधरी के फर्जी साइन करने के आरोप हैं उसे ही यह जिम्मेदारी दी गई है कि वह शासन-प्रशासन स्तर पर पूछे जाने वाले सवालों और मामलों की रिपोर्ट प्रस्तुत करे। जाकि उक्त अधिकारी के खिलाफ लोकायुक्त में मामला दर्ज होने के बाद जांच प्रभावित होने का अंदेशा बढ़ गया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार भ्रष्टाचार के प्रकरण क्रमांक 138/ 2014 जेएनएनयूआरएम एवं सिंहस्थ 2016 के ठेकेदार संजय धर्मदास तीरथ दास को फर्जी भुगतान करने के लिए आयुक्त द्वारा नई टीम का गठन किया गया। जिसमें पीयूष भार्गव को प्रोजेक्ट का नोडल अधिकारी, अभिलाषा चौरसिया सहायक यंत्री, हर्ष जैन (उपयंत्री) प्रभारी सहायक यंत्री, संजय खुजनेरी प्रभारी उपयंत्री को उक्त टीम में शामिल किया गया। उक्त टीम के नोडल अधिकारी पीयूष भार्गव द्वारा आयुक्त महेश चंद्र चौधरी जो सितांर 2011 में नगर निगम में आयुक्त के रूप में पदस्थ हुए थे उनके हस्ताक्षर फरवरी 2011 में करके ही प्रकरण क्रमांक 138/2014 में भुगतान की स्वीकृति की नोट शीट बनाकर 2017 में लगा दी थी।
लोकायुक्त को दी थी जानकारी
महेश चंद्र चौधरी द्वारा एक आवेदन के माध्यम से लोकायुक्त कार्यालय भोपाल और तत्कालीन निगम आयुक्त प्रतिभा पाल को अवगत कराया था कि मेरे फर्जी हस्ताक्षर किए जाकर पीयूष भार्गव द्वारा अपना बचाव किया जा रहा है। जिसकी कार्यवाही होना चाहिए लेकिन नगर निगम के कुछ अधिकारी जो पीयूष भार्गव के साथ हैं उन्हीं ने आयुक्त क्षितिज सिंघल से एक टीम गठित करवा कर एक आईएएस अधिकारी को फर्जी हस्ताक्षर के लिए दूसरे आईएएस अधिकारी ने उसी यंत्री को नोडल अधिकारी बना दिया। नगर निगम में कितनी पारदर्शिता रहती है। अधिकारी एक-दूसरे को नीचा दिखाने के लिए कितना प्रयत्न करते हैं यह आयुक्त क्षितिज सिंघल द्वारा किए गए आदेश से पता चलता है। क्या इस टीम द्वारा जो पूर्व के अधिकारियों द्वारा काटे गए लगभग 2 करोड़ रुपये के भुगतान की अनुशंसा टीम करती है तो आयुक्त स्वीकृति प्रदान करेंगे? अगर स्वीकृति दी जाती है तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि नगर निगम में किसी भी आयुक्त के फर्जी हस्ताक्षर करके कुछ भी हो सकता है। आयुक्त को चाहिए कि उक्त भ्रष्ट कार्यपालन यंत्री पीयूष भार्गव को हटाकर किसी अन्य कार्यपालन यंत्री को उक्त चार्ज दें जिससे सत्यता सामने आ सके और पीयूष भार्गव को सहयोग करने वाले जो भी अधिकारी है उनका भी पता लगाया जाए कि वह भार्गव किस प्रकार के अधिकारी है।
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