शिव की सत्ता में मोहन को मिला नेतृत्व
डॉ. मोहन यादव बने केबिनेट मंत्री, पारस जैन का पत्ता कटा
धमेन्द्र भाटी, विशेष संवाददाता
उज्जैन। प्रदेश की सत्ता में काबिज शिवराज के मंत्रीमंडल में उज्जैन से इस बार युवा विधायक डॉ. मोहन यादव को नेतृत्व करने का अवसर मिला है।लगातार दूसरी बार विधायक बने यादव को शिव के राज में केबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया है। जबकि वर्षों तक मंत्री पद का सुख भोगने वाले पारस जैन का पत्ता इस बार कट गया है। इधर यादव समर्थकों में हर्ष है, वहीं जैन खेमे में मायूसी छाई हुई है।
कहते है कि सत्ता में काबिज होने का कब किसको और कैसे अवसर मिल जाए यह राजनीति में कहना मुश्किल है, ऐसा ही कुछ इस बार शिवराज के मंत्रीमंडल विस्तार में भी हुआ है। उज्जैन उत्तर के कद्दावर नेता पारस जैन जो कि लगातार 13 सालों तक प्रदेश की सत्ता में मंत्री रहे, इस बार उन्हें अपना मंत्री पद गवाना पड़ा। इसके पीछे मुख्य कारण यह है कि केंद्रीय नेतृत्व और भाजपा की सिंधिया के साथ हुई जुगलबंदी ने राजनैतिक समीकरणों में काफी बदलाव कर दिया। यहीं कारण है कि इस बार अधिकांश नये चेहरों को अवसर दिया गया है। गुरूवार को हुए मंत्रीमंडल विस्तारीकरण में उज्जैन उत्तर की बजाय दक्षिण से विधायक डॉ. मोहन यादव को केबिनेट मंत्री की शपथ दिलाई गई है।
नव नेतृत्व करने की क्षमता ने पहुंचाया बुलंदी पर…
डॉ. मोहन यादव एक ऐसे नेता है, जिन्होंने अपने अंदर शुरू से नेतृत्व करने की क्षमता को काबिज रखा, यहीं कारण है कि वह छात्र राजनीति से लेकर अब तक जहां भी गए एक मुकाम हासिल किया। डॉ. यादव ने छात्र राजनीति की शुरूआत 1986-87 में विद्यार्थी परिषद में राष्ट्रीय मंत्री के रूप में शुरू की थी। इसके बाद सिंहस्थ 1992 के बाद भाजपा में सक्रिय राजनीति शुरू की और युवा मोर्चा में प्रदेश कार्यसमिति सदस्य बने। राजनैतिक रफ्तार से चले यादव के कदम यहीं नही थमे उन्होंने वर्ष 2000 में नगर जिले में महामंत्री पद हासिल कर लिया। वहीं जैसे ही 2003 में प्रदेश में भाजपा की सत्ता काबिज हुई और उमा भारती मुख्यमंत्री बनी ही थी कि कुछ ही महिनों बाद डॉ. यादव को उज्जैन विकास प्राधिकरण अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंप दी गई। 2004 से 2009 तक यूडीए अध्यक्ष रहे यादव ने दो कार्यकाल सफलता पूर्वक पूर्ण किये और फिर 2010 में मप्र पयर्टन विकास निगम के अध्यक्ष की कुर्सी हासिल कर ली और राजनीति में अपनी पेठ मजबूत कर ली। वर्ष 2013 में पहली बार उज्जैन दक्षिण से विधानसभा चुनाव जीता वहीं 2018 में फिर से विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की, लेकिन सत्ता कांग्रेस की बन गई जो महज ड़ेढ साल चली और सत्ता कांग्रेस के हाथ से चली गई और अब वर्तमान में भाजपा की शिवराज सरकार है ओर उसके मंत्रीमंडल के विस्तर में यादव ने केबिनेट मंत्री का पद हासिल कर सभी चौंका दिया है।
बॉक्स में लगावे…
शिवराज के चहते मंत्री थे जैन…
यह बात भी किसी सत्ता के गलियारों में चल रही है कि मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के चहेते मंत्रियों में कभी पारस जैन का नाम शामिल था। 2003 में जब प्रदेश में भाजपा की सरकार उमा भारती के नेतृत्व में बनी तो उन्होंने उज्जैन दक्षिण से विधायक शिवनारायण जागीरदार को मंत्री पद से नवाजा था, उसके बाद बाबूलाल गौर ने भी जागीरदार पर ही विश्वास जताया। लेकिन जैसे ही शिवराज के हाथों में सत्ता आई उन्होंने अपने मंत्री मंडल में जागीरदार को हटाकर पारस जैन को अवसर दिया। तब से लेकर 13 साल के शिवराज कार्यकाल में पारस जैन मंत्री रहे। लेकिन इस बार शायद शिवराज के चहेते मंत्री पारस जैन को स्थान नही मिलना उनके समर्थकों में मायूसी का कारण बन गया है।
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