उज्जैन तड़का

श्राद्ध पक्ष-पितृ मोक्ष के लिए किया जाता है तर्पण और पिण्डदान

-श्राद्ध पक्ष पर गयाकोठा, सिद्धवट और रामघाट पर पहुंचे लोग

उजैन। आज से पितृ का पर्व श्राद्ध पक्ष प्रारंभ हुआ। सुबह से लोगों ने पितृ मोक्ष की कामना को लेकर प्रमुख मंदिरों में दर्शन पूजन व तर्पण आदि कार्य सम्पन्न किये इसके अलावा घरों में भी धूप ध्यान का सिलसिला शुरू हुआ जो अगले 15 दिनों तक जारी रहेगा। पितृओं के तर्पण, पिण्डदान, पूजन आदि का महत्व उज्जैन के प्रमुख तीन स्थानों सिद्धवट, गयाकोठा तीर्थ और रामघाट पर पुराणों के अनुसार माना गया है। इन स्थानों पर पितृ के निमित्त कर्म करने से उनकी आत्मा को शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

पुराणों में अवंतिका तीर्थ के रामघाट, सिद्धनाथ और गयाकोठा तीर्थ स्थानों का वर्णन और यहां तर्पण, पिण्डदान व पूजन दर्शन का महत्व बताया गया है। स्कंद पुराण के अनुसार सिद्धवट घाट पर प्रेतशिला तीर्थ व शक्ति भेद तीर्थ है इसके अलावा रामघाट पर पिशाच मोर्चन तीर्थ है और गयाकोठा तीर्थ पर गुप्त फाल्गू का प्राकट्य बताया गया है। पंडितों के अनुसार इन तीर्थ स्थानों पर श्राद्ध पक्ष के दौरान पितृओं का तर्पण, पिण्डदान, दर्शन पूजन करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है साथ ही कर्म करने वाले को पुण्य फल प्राप्त होता है। इन तीर्थ स्थलों पर श्राद्ध पक्ष के अलावा अमावस, चौदस पर भी दर्शन का विशेष महत्व बताया गया है।

सफाई की कोई व्यवस्था नहीं

सफाई की कोई व्यवस्था नहीं

सिद्धनाथ घाट पर वर्तमान में विभिन्न निर्माण कार्य शासन द्वारा कराये जा रहे हैं जो अभी अधूरे पड़े हुए हैं। घाट तक पहुंचने से पहले गंदगी और कचरे के अलावा निर्माण मटेरियल गिट्टी, रेती आदि पड़े हुए हैं इस कारण लोगों को घाट और मंदिर तक आने जाने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। खास बात यह कि नगर निगम द्वारा सिद्धनाथ घाट और खाली परिसर में सफाई की पूर्व से कोई व्यवस्था नहीं की गई है।

आवारा मवेशी, श्वान बड़ी संख्या में भीड़ में घूम रहे हैं। वाहन पार्किंग की उचित व्यवस्था नहीं होने के कारण लोग यहां वहां खाली स्थानों के अलावा मेन रोड़ पर ही वाहन खड़े कर रहे हैं जिससे आवागमन प्रभावित हो रहा है। पुलिस विभाग द्वारा एसआई स्तर के अधिकारी और जवानों की ड्यूटी लगाई गई है।

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प्रवेश को लेकर आई परेशानी 

प्रवेश को लेकर आई परेशानी

खाकचौक के पास स्थित गयाकोठा तीर्थ पर पितृ पक्ष में दुग्धाभिषेक का महत्व है। इसके अलावा लोगों द्वारा पिण्डदान व तर्पण भी बड़े पैमाने पर किया जाता है। सुबह से यहां लोग पहुंचना शुरू हो चुके थे। दोपहर 12 बजे तक लंबी कतार लग चुकी थी। खास बात यह कि मंदिर में प्रवेश और निगम का एक ही मार्ग होने के कारण परेशानी उत्पन्न हो रही थी।

यहां भी मंदिर के आसपास निर्माण कार्य चल रहे हैं जो अधूरे पड़े हैं। कीचड़ व गंदगी के बीच लोगों को मंदिर परिसर के आसपास आवागमन करना पड़ रहा है। मंदिर में चढ़ने वाला दूध नाली के रास्ते बाहर बह रहा था। पंडों द्वारा अधूरे निर्माण कार्य के बीच पूजन व अन्य कार्य सम्पन्न कराया गया। देश भर के सैकड़ों लोग सुबह से यहां पहुंचना शुरू हो चुके थे।

पुलिस बल तैनात

शिप्रा नदी के रामघाट पर भी सुबह से तर्पण, पूजन करने वालों की अच्छी भीड़ रही। रामानुजकोट से रामघाट की ओर आने वाले मार्ग पर बेरिकेडिंग कर वाहनों का आवागमन प्रतिबंधित किया गया है। घाटों पर सैकड़ों लोगों ने बैठकर पूजन कार्य सम्पन्न किया। यहां पर नगर निगम द्वारा एक दिन पहले से सफाई कराई गई और थाना प्रभारी स्तर के अधिकारियों के साथ जवानों की ड्यूटी लगाई गई है।

इस वर्ष तिथियों की घटबढ़ के कारण पितृ पक्ष 15 दिनों तक ही रहेगा जबकि इसके बाद आने वाले नवरात्रि पर्व पर भी तिथियों का असर रहेगा। पौराणोक्त तीर्थ स्थलों पर पहुंचकर लोगों को पितृ के निमित्त तर्पण, पिण्डदान व पूजन विधि सम्पन्न करना चाहिये और इसी का फल प्राप्त होता होता है।

तीन प्रकार के ऋण रहते है हम

सनातन धर्म में ऐसी मान्यता है कि मनुष्य जन्म लेने के बाद तीन प्रकार के ऋणों का ऋणी हो जाता है। ये तीन प्रकार के ऋण मनुष्य को उतारने ही पड़ते हैं जिन्हें देवऋण, ऋषिऋण एवं पितृऋण के नाम से जाना जाता है। सनातन धर्म की यह महानता रही है कि यदि मनुष्य के लिए कोई विधान बनाया है तो उससे निपटने या मुक्ति पाने का मार्ग भी बतलाया गया है।

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मनुष्य जीवन में तीन अलग अलग प्रकार के ऋणों को उतारने में शायद सक्षम न हो सके इन तीनों ऋणों को एक साथ उतारने का अवसर मिलता है। भाद्रपद माह की पूर्णिमा से आश्विनमाह की अमावस्या पर्यन्त सोलह दिनों के पक्ष को पितृपक्ष बताकर विशेष विधान (तर्पण + पिंडदानादि) बतलाये गये हैं। जिनका पालन करने पर मनुष्य एक साथ तीनों ऋणों से उऋण होने का प्रयास कर सकता है।

ऐसे मिलती है सुख-शांति

इन विशेष सोलह दिनों को श्राद्धपक्ष भी कहा गया है। जिसमें श्राद्धकर्म करके मनुष्य पितृों को संतुष्ट करता है। पितरों के प्रति तर्पण अर्थात जलदान पिंडदान पिंड के रूप में पितृों को समर्पित किया गया भोजन ही श्राद्ध कहलाता है। देव, ऋषि और पितृ ऋण के निवारण के लिए श्राद्ध कर्म है। अपने पूर्वजों का स्मरण करने और उनके मार्ग पर चलने और सुख-शांति की कामना ही वस्तुत: श्राद्ध कर्म है।

पूर्णिमा तिथि के साथ ही श्राद्ध पक्ष प्रारम्भ हो जाएगा। 16 दिन के लिए हमारे पितृ घर में विराजीत रहते है और वंश का कल्याण करेंगे। घर में सुख-शांति-समृद्धि प्रदान करेंगे। जिनकी कुंडली में पितृ दोष हो, उनको अवश्य अर्पण-तर्पण करना चाहिए। वैसे तो सभी के लिए अनिवार्य है कि वे श्राद्ध करे। श्राद्ध करने से हमारे पितृ तृप्त होते हैं

परेशान होकर जाते है विद्वानों के पास

आज मनुष्य नाना प्रकार के दुखों से पीड़ित है कोई भी सुखी नहीं दिखाई पड़ता है लोग परेशान होकर पंडित, आचार्य एवं ज्योतिषियों के पास जाते हैं। तब उनको पता चलता है कि पितृदोष के कारण उनको कष्ट प्राप्त हो रहा है। आज मनुष्य के दुख का सबसे बड़ा कारण है। अपनी मान्यताओं को भूल कर भौतिकता की चकाचौंध में मानव इन मान्यताओं को मात्र ढकोसला मानकर इनसे किनारा कर रहा है।

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परंतु इन मान्यताओं को न मानने वाले जब जीवन में संघर्ष करने के बाद भी सफल नहीं होते हैं तो किसी विद्वान की शरण में दीन-हीन बनकर जाते हैं। तब विद्वान द्वारा उनको पितृदोष और उसके निवारण का उपाय बताया जाता है। उस समय मनुष्य की सारी आधुनिकता समाप्त हो जाती है और वह सबकुछ करने को तैयार हो जाता है। कहने का तात्पर्य है कि जब कष्ट हुआ तो देवी-देवता-पितर सबको मानने लगता है।

सनातन धर्म ने बनाए विधान

सनातन धर्म में इसीलिए समय समय इन विधानों को बनाया गया है कि मानवमात्र इन दुखों से निवृत्ति पाता रहे यदि पितृपक्ष में विधानानुसार मनुष्य देवतर्पण, ऋषितर्पण एवं पितृतर्पण करता रहे तो शायद उसको इन परेशानियों से छुटकारा मिलता रहे। अपने पितरों की तिथि विशेष पर श्राद्ध अवश्य करना चाहिए। यथाशक्ति तर्पण, पिंडदान करके ब्राह्मण को भोजन करावे यदि ब्राह्मण न उपलब्ध हो सकें तो पितृों के निमित्त किसी गरीब को या मंदिर में दान कर देना चाहिए।

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Deepak Bharti

मैं दीपक भारती thetadkanews.com हिन्दी News वेब पोर्टल का Founder हूं, BA और MA in Mass Communication की पढ़ाई के बाद मैने साल 2008 में पत्रकारिता के क्षेत्र में कदम रखा। मैने शुरूआती दिनों में सांध्य दैनिक News Today, Agniban, Akshar Vishwa, Dainik Swadesh में रिपोर्टर और वर्तमान में Dainik Dabang Dunia में सनियर रिपोर्टर के रूप में काम कर रहा हूं। मैने पत्रकारिता को एक मिशन के रूप में लिया है। बदलती दुनिया पत्रकारिता भी डिजिटल स्वरूप में आ गई हैं। मेरा यह प्रयास रहता है कि खबर जैसी है वैसी ही उसके पाठकों तक पहुंचना चाहिए। ताकि वह उसके हर पहलू को समझ सकें।
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