अब उठी फतेहाबाद रेलवे स्टेशन का नाम बदलने की मांग
सांसद अनिल फिरोजिया ने कहा फतेहाबाद रेलवे स्टेशन का नाम हो चंद्रावतिगंज
उज्जैन के सांसद अनिल फिरोजिया ने फतेहाबाद रेलवे स्टेशन का नाम बदलने की मांग की है। हाल ही में भोपाल के हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम बदल कर कमलापति रेलवे स्टेशन किया गया है। फतेहाबाद रेलवे स्टेशन का नाम बदलने की मांग को लेकर सांसद अनिल फिरोजिया ने प्रधानमंत्री और रेल मंत्री को पत्र लिखने की बात कई है।
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उल्लेखनीय है कि हबीबगंज रेलवे स्टेशन को वर्ल्ड क्लास में तब्दील कर उसका नाम कमलापति रेलवे स्टेशन हाल ही में किया गया है। उक्त रेलवे स्टेशन का नाम बदले जाने के बाद उज्जैन सांसद अनिल फिरोजिया ने मांग की है कि इंदौर ट्रेक पर आने वाले फतेहाबाद रेलवे स्टेशन का भी नाम बदला जाए। सांसद का कहना है कि वह जल्द ही इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रेल मंत्री तथा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से पत्र वार्ता करेंगे। फतेहाबाद रेलवे स्टेशन का नाम बदलने के संबंध में सांसद ने अपना तर्क दिया है।
ग्रामीणों ने भी की थी मांग
सांसद अनिल फिरोजिया का कहना है कि जहां पर फतेहाबाद रेलवे स्टेशन है वहां पर चंद्रावतीगंज गांव है। जबकि फतेहाबाद नाम का कोई भी स्थान वहां पर नहीं है। लेकिन रेलवे द्वारा अपने रिकॉर में रेलवे स्टेशन का नाम फतेहाबाद दर्ज किया हुआ है। स्थानीय रहवासियों द्वारा भी गांव को चंद्रावतीगंज के नाम से ही संबोधित किया जाता है। यही कारण है कि ग्रामीणों ने भी रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर चंद्रावतीगंज रखने की मांग की है।
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प्रधानमंत्री ने दिखाई थी हरी झंडी
गौरतलब है कि उज्जैन से फतेहाबाद रेलवे स्टेशन के 23 किलोमीटर के मीटर गेज ट्रेक को ब्रॉडगेज में परिवर्तित किया गया है। 15 नवंबर को 7 साल के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्चुअल हरी झंडी दिखाकर उक्त ट्रैक पर एक बार फिर से ट्रेन का आवागमन शुरू किया है। उक्त ट्रैक शुरू हो जाने के चलते उज्जैन के रहने वाले लोगों को इंदौर जाने के लिए अधिक रेलवे ट्रैक मिल गया है। साथ ही कई ग्रामीण क्षेत्रों के रहने वाले लोगों को भी इसका लाभ मिला है।
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इसलिए पड़ा नाम
होलकर स्टेट में उज्जैन से इंदौर के बीच रेलवे ट्रैक शुरू किया गया था। बताया जा रहा है कि उक्त रेलवे ट्रैक 145 साल पुराना है। फतेहाबाद का नाम पढ़ने के पीछे भी एक रोचक किस्सा है। ग्रामीणों का कहना है कि इतिहास में यहां पर फतियाबाद नामक गांव था जहां अधिकांश रूप से राजपूत रहते थे। मुगल शासक औरंगजेब ने यहां पर राजपूतों से युद्ध किया था। युद्ध में फतेहा होने के बाद औरंगजेब ने यहां का नाम फतेहाबाद रख दिया था। लेकिन समय के साथ-साथ फतेहाबाद नाम भी समाप्त हो चला है।
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