अमावस्या पर हजारों श्रद्धालुओं ने फव्वारे में किया स्रान
शनिदेव के दर्शन कर वापस लौटे गा्रमीण, मंदिरों में रही भीड़
उज्जैन। Sat- 13 Mar 2021
शनिवार को अमावस्या होने से त्रिवेणी घाट पर हजारों श्रद्धालु शिप्रा स्नान के लिए पहुंचे थे। इस बार भी प्रशासन ने शिप्रा नदी में हो रहे धमकों के कारण नदी में स्रान पर रोक लगा दी थी। हालांकि घाट पर फव्वारों में स्रान के बाद सीधे शनि देव के दर्शन कर ग्रामीण रवाना हो गए। अनुमान के आधार पर करीब 30 हजार श्रद्धालुओं ने दर्शन लाभ लिया।
शनिश्चरी अमावस्या के लिए सुबह से ही ग्रामीण अंचलों से आए श्रद्धालु इंदौर रोड स्थित नवग्रह शनि मंदिर और त्रिवेणी संगम पर पहुंचने लगे थे। ग्रामीणों की मोक्षदायिनी शिप्रा में स्नान की उम्मीद भी पूरी नही हो सकी। कारण था कि प्रशासन ने पिछले दिनों शिप्रा नदी में त्रिवेणी पाले के पास हुए धमके के कारण श्रद्धालुओं के नदी में स्रान पर रोक लगा दी थी। वहीं घाटों पर श्रद्धालुओं को स्रान कराने के लिए फव्वारे लगाए गए थे। इस बार व्यवस्था ऐसी थी कि पहले श्रद्धालु स्रान करे इसके बाद बेरिकेट्स के माध्यम से शनिदेव के दर्शन कर सीधे बाहर निकल सके।
घाट पर छोड़ी पनौती
फव्वारा स्रान करने वाले श्रद्धालुओं ने स्नान के बाद पनौती घाटों पर छोड़ी गई जिससे वहां पर पुराने कपड़ों और जूते-चप्पलों के ढेर लग गए। नवग्रह शनि मंदिर में दर्शनों के लिए दिनभर लंबी कतार लगी रही। श्रद्धालुओं ने भगवान शनि के दर्शन कर तेल से अभिषेक किया। भिखारियों को दान भी किया। मंदिर के बाहर हवन पूजा भी कराई। घाट के ऊपर ही श्रद्धालुओं ने कपड़े, पुराने जूते छोड़ कर पनौती पूरी की। वहीं मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं द्वारा चढ़ाए गए नारियल क ा ढेर लग चुका था। हालांकि पनौती और नारियल प्रशासन द्वारा बेच कर राशि एकत्रित की जाती है।
रामघाट पर पहुंचे स्नान करने
शनिश्चरी अमावस्या होने के कारण स्रान का महत्व होने से अधिकांश श्रद्धालुओं ने रामघाट पर स्नान किया। ग्रामीण अंचलों से आए श्रद्धालुओं के कारण शहर के प्राचीन मंदिरों में दर्शनार्थियों की भीड़ रही। दिनभर खरीदी के बाद श्रद्धालु अपने घरों की ओर रवाना हुए। शनिश्वरी अमावस्या पर शहर के अन्य शनि मंदिरों में विशेष अनुष्ठान हुए।
मंदिर में बेरिकेट्स पर तीन लाईन चली
श्री महाकालेश्वर मंदिर में शनिवार को अमावस्या का स्रान होने से श्रद्धालुओं की भीड़ सुबह से ही लगी रही। मंदिर प्रशासन द्वारा बेरिकेट्स से दर्शन कराने क ी व्यवस्था निर्धारित की थी। वहीं दोपहर में तो अधिक भीड़ के कारण बेरिकेट्स पर तीन लाईने चला कर दर्शन कराए गए। वहीं प्रोटोकाल से आने वाले श्रद्धालुओं को नंदी हॉल से दर्शन कराने का सिलसिला चलता रहा। मंदिर परिसर के अन्य मंदिरों में भी श्रद्धालुओं ने भगवान के दर्शन लाभ लिए।
मास्क की अनिवार्यता भूले
शनिचरी अमावस्या पर ग्रामीण क्षेत्र से आए श्रद्धालुओं को प्रशासन के अधिकारी कोविड गाईड लाइन का पालन नही करा सके। वहीं महाकाल मंदिर में भी सामाजिक दूरी और मॉस्क की अनिवार्यता का पालन नही हुआ। एक ओर तो प्रशासन द्वारा कोविड के बढ़ते मामले में सतर्कता बरतने के निर्देश दिए जाते है। वहीं प्रशासन द्वारा ही नियमों का पालन नही कराया जाता है।
अमावस्या पर हुआ चलित भंडारा
मोहन नगर चौराहा स्थित अंबेमाता मंदिर पर शनिश्चरी अमावस्या के अवसर पर चलित भंडारे का आयोजन किया गया जिसमें सुबह 9 बजे से देर रात तक करीब 15 हजार भक्तों ने प्रसादी ग्रहण की। रवि राय ने बताया कि समाजसेवी हरिसिंह यादव द्वारा श्रध्दालुओं के लिए महाप्रसादी का आयोजन किया गया। जिसका शुभारंभ उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा किया गया। चलित भंडारे में नरेन्द्र शर्मा, विक्रम ठाकुर, पं. अनिरूध्द पांडे, राजेन्द्र सोनी, शैलेन्द्रसिंह परिहार मौजूद थे।
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