अस्पतालों में गंवाए डेढ़ लाख फिर भी नहीं बच सकी गर्भवती की जान
निजी अस्पतालों में मौत के बाद सौदेबाजी, बिल जमा नहीं किया तो रात भर अस्पताल में ही रखा महिला का शव
धर्मेंन्द्र भाटी, विशेष संवाददाता
उज्जैन। माधव क्लब रोड स्थित निजी अस्पताल में इलाज के दौरान गर्भवती महिला की मौत हो गई। जिसके बाद परिजनों को 95 हजार रुपए का बिल अस्पताल वालों ने थमा दिया। बिल जमा नहीं करवाया तो रात भर शव अस्पताल में ही रखा। बुधवार सुबह पुलिस ने शव परिजनों को दिलवाया। परिजनों का आरोप है कि इलाज कर रहे डॉ. खत्री ने तीन अस्पताल में महिला के इलाज के लिए डेढ़ लाख रुपए जमा करवाए थे।
माधव क्लब रोड स्थित निजी अस्पताल में बीनागंज निवासी 21 वर्षीय सीमा पति जितेन्द्र गुर्जर 21 साल की इलाज के दौरान मंगलवार रात 8 बजे मौत हो गई थी। इलाज कर रहे डॉ. खत्री ने ब्रेन महिला के परिजनों को बताया कि ब्रेन हेमरेज से सीमा की मौत हो गई। डॉक्टर ने कहा की 95 हजार रुपए का बिल जमा करवाकर शव को ले जा सकते हो। इतनी बड़ी राशि सुनकर परिजनों के हाथ-पैर फुल गए। उन्होंने बिल जमा कर पाने में असमर्थता जताई। प्रबंधन ने रात भर शव को अस्पताल में ही रखा। कृपालसिंह का आरोप है कि अस्पताल प्रबंधन की सूचना पर पुलिस भी मौके पर आ गई थी। अस्पताल प्रबंधन द्वारा उन्हें डराया गया की बिल जमा नहीं करवाया तो सीमा के शव का पोस्ट मार्टम होगा। रात भर शव अस्पताल में ही बंधक रखा गया। सुबह 10.30 बजे पुलिस के हस्तक्षेप के बाद अस्पताल ने शव परिजनों को सौप दिया। इस संबंध में नीलगंगा थाने के एसआई का कहना था कि अस्पताल के बिल को लेकर कुछ विवाद था। सुबह शव परिजनों को सौप दिया गया।
यह था मामला…
बीनागंज के ग्राम चांचोडा निवासी सीमा बाई पति जितेन्द्र गुर्जर 21 साल राजगढ़ स्थित ग्राम छत्री में अपने मायके गई थी। तीन दिनों से सिर में दर्द होने के कारण पिता कृपालसिंह उसे इलाज के लिए 29 जून को डॉ. खत्री के पास लेकर पहुंचे। डॉ. खत्री के कहने पर उन्होंने सीमा को संजीवनी अस्पताल में भर्ती किया था। जहां एक दिन भर्ती रखने के दौरान 30 हजार रुपए का बिल जमा किया था। दूसरे दिन डॉ. खत्री ने सीमा को पाटीदार अस्पताल में भर्ती करवा दिया। यहां पर दो दिन तक भती रखने के बाद डॉ. खत्री ने सीमा को पीएन तेजनकर अस्पताल में आॅपरेशन के लिए भर्ती करवाया। इसके पहले सीमा के परिजनों ने पाटीदार अस्पताल में 59 हजार रुपए जमा किए थे। कृपालसिंह का आरोप है कि तेजनकर अस्पताल में उन्होंने डॉक्टर खत्री से आॅपरेशन का खर्च पूछा था। जिस पर डॉक्टर ने 50 हजार रुपए और दवाईयां अलग से बताई थी। परिजनों ने जैसे तैसे कर आॅपरेशन के 50 हजार अस्पताल में जमा कर दिए। इसके बाद 18 हजार की दवाईयां भी खरीदी। वहीं एक अन्य डॉक्टर की फीस 8 हजार रुपए भी अस्पताल में जमा करवाए। एक पिता ने पुत्री को बचाने के लिए डेढ़ लाख रुपए इलाज पर खर्च कर दिए। लेकिन उसके बाद भी उसकी पुत्री बच नहीं पाई। हालत यह हो गई की बिल के लिए शव को भी नहीं दिया गया।
तीन दिन तक घुमाते रहे अस्पतालों में
कृपालसिंह का आरोप है कि उन्होनें डॉक्टर से पूछा था कि उनकी बेटी ठीक हो जाएगी क्या…जिस पर डॉक्टर ने कहा की आॅपरेशन करने पर ठीक हो जाएगी। डॉक्टर के कहने पर ही उन्होने पहले संजीवनी, पाटीदार और उसके बाद तेजनकर अस्पताल में भर्ती करवाया। संजीवनी और पाटीदार में तकरीबन 90 हजार रुपए का बिल सीमा के पिता ने जमा करवाए। इसके बाद भी जब सीमा की हालत में सुधार नहीं हुआ तो कृपालसिंह ने डॉक्टर से पूछा था। लेकिन डॉक्टर ने तेजनकर अस्पताल में आॅपरेशन के बाद सीमा के ठीक होने का भरोसा दिलाया था। इस संबंध में डॉक्टर खत्री से चर्चा करनी चाही गई तो उनका मोबाइल बंद था।
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