Durga Ashtami-चौबीस खंबा माता मंदिर में कलेक्टर ने लगाया शराब का भोग
Durga Ashtami-दुर्गा अष्टमी पर सालों से चली आ रही परंपरा-माता की होती है शासकीय पूजा
Durga Ashtami-उज्जैन में दुर्गा अष्टमी (Durga Ashtami) पर बुधवार को गुदरी चौराह के समीप चौबीस खंबा माता मंदिर पर महालया और महामाया माता को कलेक्टर आशीष सिंह ने शराब का भोग लगाया गया। इसके पहले सुबह माता की पूजा व आरती की गई। कलेक्टर ने पूजा और आरती के बाद माता महालया और महामाया से उज्जैन जिले की सूख समृद्धि की कामना की। इस दौरान एसपी सत्येन्द्र कुमार शुक्ल भी मौजूद थे। नगर पूजा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु और भक्त भी शामिल हुए। ढ़ोल नगाड़ों के साथ ही माता की महाआरती भी की गई।
उज्जैन के चौबीस खंबा माता मंदिर में सालों से चली आ रही परंपरा का निर्वाहन आज भी किया जा रहा है। चैत्र नवरात्रि की दुर्गा अष्टमी (Durga Ashtami) पर माता महालया और महामाया की विशेष पूजा की जाती है। बुधवार को भी कलेक्टर आशीषसिंह और एसपी सत्येन्द्र कुमार शुक्ल ने माता की पूजा और आरती की। इसके बाद माता को शराब का भोग भी लगाया गया। इसके बाद कलेक्टर व एसपी मंदिर के कुछ दूर तक शराब की हांडी लेकर चले। हांडी अब आज ही शहर के सभी भैरव मंदिरों में पहुंचाई जाएगी। जिससे भैरव महाराज को भी शराब का भोग लगाया जाएगा। आज दिन भर में 27 किमी की दूरी तय की जाएगी। चौबीस खंबा माता मंदिर से प्रारंभ होकर ज्योर्तिलिंग महाकालेश्वर पर शिखर ध्वज चढ़ाकर समाप्त होगी। (Durga Ashtami) इस पूजा की विशेष बात यह है कि एक घड़े में शराब को भरा जाता है, घड़े के नीचे छेद होता है जिससे पूरे पूजा मार्ग के दौरान मदिरा की धार बहाई जाती है। धार न टूटे इसके लिए घड़ें में लगातार शराब डाली जाती है।
सम्राट विक्रमादित्य ने शुरू की थी परंपरा-(Durga Ashtami)
ऐसी मान्यता है कि चौबीस खंबा माता की पूजा सम्राट राजा विक्रमादित्य द्वारा की जाती थी। ऐसी कहावत है कि इस प्रकार से पूजा करने से शहर में महामारी नहीं होती है। इसी उद्देश्य से परंपरा का निर्वाह सालों से कलेक्टर द्वारा किया जाता है। महालया और महामाया माता को भोग लगाने के बाद शहर में 27 किमी मार्ग के बीच आने वाले 40 से अधिक भैरव मंदिरों में शराब की धार बनाकर भोग लगाया जाता है।
अष्टमी पर होती है शासकीय पूजन-(Durga Ashtami)
नवरात्रि में उज्जैन के कई देवी मंदिरों पर पाठ-पूजा का विशेष महत्व है। नवरात्रि के 9 दिनों तक देवी मंदिरों में बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं। इन्हीं मंदिरों में से एक है चौबीस खंबा माता मंदिर। जहां दो माताओं की मूर्ति है। महालया और महामाया, प्राचीनकाल में भगवान बाबा महाकाल के मंदिर में प्रवेश करने और बाहर की ओर जाने का मार्ग पर चौबीस खंबों से एक द्वार बनाया गया था। द्वार के दोनों ओर देवी महामाया और देवी महालाया की मूर्ति स्थापित किया गया था। सम्राट विक्रमादित्य दोनों देवियों की आराधना किया करते थे। तब से लेकर अष्टमी (Durga Ashtami) पर्व पर यहां शासकीय पूजन किए जाने की परंपरा आज तक चली आ रही है।
बड़ी संख्या में पहुंचे भक्त-(Durga Ashtami)
गौरतलब है कि नवरात्रि की दुर्गा अष्टमी (Durga Ashtami) पर चौबीस खंबा माता मंदिर में होने वाली शासकीय पूजा में शामिल होने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु और भक्त पहुंचते है। पूजा और आरती के बाद माता के प्रसाद के रूप में लोगों द्वारा शराब का प्रसाद भी लिया जाता है। आरती और भाग के बाद 27 किलो मीटर की पूजा में भी कई लोग शामिल होते है। हालांकि इसमें मुख्य रूप से कोटवार, पुजारी और पटवारी शामिल होते है।
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