EPFO Update | नॉमिनेशन में नहीं जोड़ा पत्नी का नाम तो उलझ सकता है EPS पेंशन का पैसा
EPFO Update | एक छोटी सी गलती से फंस सकती है आपकी जीवन भर की जाम पूंजी
EPFO Update : प्रोविडेंट फंड का पैसा आपके रिटायरमेंट को सुरक्षित करता है। ईपीएफओ सदस्य की मृत्यु की स्थिति में यह परिवार के काम भी आता है। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि आपकी एक छोटी सी गलती से आपका पूरा फंड फंस सकता है। क्या आप जानते हैं कि जैसे ही कोई व्यक्ति शादी करता है उसके लिए EPF और EPS के नियम बदल जाते हैं। इसके लिए नॉमिनेशन का ध्यान रखना बेहद जरूरी है।
निरस्त भी हो सकता है नॉमिनेशन
EPFO Update : ईपीएफओ के किसी सदस्य की शादी के बाद ईपीएफ और ईपीएस में उसका नामांकन रद्द किया जा सकता है। कर्मचारी भविष्य निधि (EPFO) योजना, 1952 के नियमों में इसका उल्लेख है। नियमों के अनुसार कोई सदस्य शादी से पहले EPF और EPS के लिए जो भी नामांकन करता है, वह शादी के बाद अमान्य हो जाता है। यानी शादी के बाद दोबारा नॉमिनेशन करने की जरूरत है। जानकारों का कहना है कि शादी से पहले ईपीएफ और ईपीएस में नॉमिनेशन शादी के बाद अपने आप रद्द हो जाते हैं।
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किया कहते है नॉमिनेशन के नियम
ईपीएफ अधिनियम में परिवार के सदस्य कौन हो सकते हैं, यह स्पष्ट रूप से बताया गया है। केवल इन्हीं लोगों को ईपीएफ खाते में नामांकन करने की अनुमति है। ईपीएफ अधिनियम के तहत, पुरुष सदस्य के मामले में ‘परिवार’ का अर्थ है पत्नी, बच्चे (विवाहित हों या नहीं), आश्रित माता-पिता और मृतक बेटे की पत्नी और बच्चे। महिला सदस्य के मामले में ‘परिवार’ का अर्थ है पति, बच्चे, आश्रित माता-पिता, सास और मृतक पुत्र की पत्नी और बच्चे।
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नॉमिनेशन नहीं किया और निधन हो गया
यदि ईपीएफ योजना के तहत कोई नामांकन नहीं किया गया है, तो निधि में जमा की गई पूरी राशि को परिवार के सदस्यों के बीच समान रूप से विभाजित किया जाएगा। यदि व्यक्ति विवाहित नहीं है, तो राशि आश्रित माता-पिता को दी जाएगी। नियम के मुताबिक अगर ईपीएफ सदस्य के परिवार का कोई सदस्य नहीं है तो वह किसी भी व्यक्ति को नॉमिनेट कर सकता है। लेकिन, शादी के बाद नामांकन अमान्य हो जाएगा।
गैर-पारिवारिक सदस्य को नॉमिनेट कर सकता है
नियम के तहत बताए गए परिवार के सदस्य ही ईपीएफ और ईपीएस अकाउंट में नॉमिनेट करें। अगर आप अपने पति या पिता जैसे परिवार के किसी सदस्य को बाहर करना चाहते हैं, तो ईपीएफ के मामले में, आपको इसे ईपीएफओ आयुक्त को लिखित रूप में देना होगा। इसी तरह अगर पति-पत्नी का तलाक हो जाता है और उनके बच्चे नहीं होते हैं, तो दोनों में से किसी एक की मृत्यु होने पर आश्रित माता-पिता को पेंशन दी जाएगी।
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