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घर बैठे प्राप्त करें निःशुल्क रुद्राक्ष – सद्गुरु ईशा रुद्राक्ष दीक्षा

घर बैठे प्राप्त करें निःशुल्क रुद्राक्ष मोबाइल से कैसे अप्लाई एवं रजिस्ट्रेशन करें जानिए पूरी प्रोसेस स्टेप बाई स्टेप

जी हाँ, सही टाइटल पढ़ा आपने, घर बैठे प्राप्त करें निःशुल्क रुद्राक्ष – सद्गुरु ईशा रुद्राक्ष दीक्षा, कैसे प्राप्त करें, क्या है रुद्राक्ष दीक्षा, मोबाइल से कैसे Registration करें , कैसे Apply करें, कौन पात्र हैं, रुद्राक्ष का महत्व, धारण करने की विधि सब कुछ जानिए।

क्या है रुद्राक्ष- धार्मिक एवं आध्यात्मिक महत्व

क्या है रुद्राक्ष- धार्मिक एवं आध्यात्मिक महत्व

रुद्राक्ष का सनातन धर्म में विशेष महत्व है। प्रकृति की ओर से वरदान में दिया गया फल रुद्राक्ष धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष सभी की प्राप्ति में लाभकारी माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार रुद्र का अर्थ शिव और अक्ष का अर्थ आंसू माना गया है, अर्थात रुद्राक्ष भगवान शिव का आंसू है। रुद्राक्ष धारण करने वाले पर भगवान शिव की कृपा बनी रहती है।

नकारात्मक, शक्तियां, रुद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति के पास नहीं आती है। जिस स्थान और घर में रुद्राक्ष की नियमित पूजा की जाती है, वहां कभी भी धन-धान्य की कोई कमी नहीं होती। भगवान शिव के आंनद अश्रु जो की ऊर्जा से भरपूर है।

ऐसे चमत्कारी रुद्राक्ष को अपने घर पर फ्री प्राप्त करने के लिए आपको हमारे इस आर्टिकल को अंत तक पढ़ना होगा। आज हम आपको रुद्राक्ष और उससे जुडी दिक्षा के बारे में बताने जा रहे है। कैसे एक रुद्राक्ष आपकी जिन्दगी बदल सकता है। सद्गुरु ईशा द्वारा आम लोगों के कल्याण और उत्थान के लिए रुद्राक्ष दिक्षा दी जाएगी।

रुद्राक्ष दीक्षा को पाकर आपके जीवन में कई रौचक बदलाव आ सकते हैं। सद्गूरु की इच्छा से 1 मार्च 2022 को महाशिवरात्रि महापर्व पर आदियोगी की कृपा सभी को रुद्राक्ष दीक्षा के रूप में सभी को प्राप्त हो।

कौन है सद्गुरू ईशा

कौन है सद्गुरू ईशा

सद्गुरु का असली नाम सद्गुरु जग्गी वासुदेव है। बचपन में उनका नाम जगदीश था। सद्गुरु का जन्म 3 सितंबर 1957 में मैसूर कर्नाटक में हुआ था। सद्गुरु एक लेखक भी है, जिन्होने 100 से अधिक पुस्तके भी लिखी है।

भारत सरकार ने सद्गुरु को साल 2017 में पदम विभूषण पुरस्कार भी दिया था। उनकी एक लाभ रहित संस्था भी है जिसका नाम ईशा फाउंडेशन है। इसकी स्थापना साल 1992 में की गई थी। यह संस्था मानव सेवा के प्रति समर्पित है।

संस्था के माध्यम से भारत के साथ विदेशों में योग की शिक्षा भी दी जाती है। संस्था के माध्यम से सामाजिक कार्य के साथ ही प्राकृतिक धरोहर की भी सुरक्षा की जाती है। सद्गुरू का लक्ष्य 16 करोड़ वृक्ष लगाने का है। ईशा फाउंडेशन में 2.5 लाख से अधिक लोग काम करते है। इसका मुख्यालय कोयंबटूर में है।

इस ईशा योग केन्द्र में सद्गुरू द्वारा डिजाइन किए गए 112 फुट आदियोगी शिव प्रतिमा है। जिसका उद्धाटन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया था। यहां पर प्रत्येक वर्ष महाशिवरात्रि के दिन लाखों की संख्या में सद्गुरु के अनुयायी और शिव भक्त पहुंचते है। इस दौरान कई भव्य कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते है। उनमें से एक कार्यक्रम रुद्राक्ष दीक्षा भी आयोजित किया जाएगा।

फ्री रुद्राक्ष दीक्षा क्या है

रुद्राक्ष दीक्षा 2022 क्या है

इस तनाव पूर्ण जीवन में हर दिन हर पल मानव का मन विचलित रहता है। इन चुनोंतियों से भरे समय में जीवंत बने रहने के लिए शिव की कृपा आवश्यक है। महाशिवरात्रि की पवित्र रात आने वाली है।

ऐसे में सद्गुरु की इच्छा है कि हर व्यक्ति पर आदियोगी की कृपा बनी रहे। आदियोगी को जिस प्रकार रुद्राक्ष प्रिय है उसी प्रकार उसे धारण करने वाले पर भी आदियोगी की कृपा रहेगी। आदियोगी शिव की कृपा में रहने का एक उपाय रुद्राक्ष दीक्षा प्राप्त करना है।

रुद्राक्ष दीक्षा जो विभिन्न साधनों और विशेष रूप से साधना का उपयोग करके कृपा के प्रति अधिक जागरूक तथा शक्तिशाली बनाने का तरीका है। रुद्राक्ष दीक्षा आपके शरीर, मन और उर्जा को परमानंद स्वरूप शिव के आंसुओं में भिगोने का एक मौका है। रुद्राक्ष दीक्षा मे भेजे जाने वाले सभी रुद्राक्ष महाशिवरात्रि की रात को सद्गुरु द्वारा विशेष रूप से प्राण-प्रतिष्ठित किए जाएंगे। -कैसे मिलेगी फ्री रुद्राक्षा दीक्षा

सद्गुरु ईशा द्वारा अभिमंत्रित रुद्राक्ष दीक्षा पूरी तरह से फ्री रहेगी। इसके लिए किसी भी प्रकार का कोई चार्ज किसी को नहीं देना है। फ्री दीक्षा प्राप्त करने के लिए आप ईशा फाउंडेशन की Official Website पर जाकर आनलाइन रजिस्ट्रेशन कर सकते है। जो लोग ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन नहीं कर सकते है। वे व्हाट्सएप और एक मिस्ड कॉल अलर्ट सिस्टम के माध्यम से रजिस्ट्रेशन करवा सकते है। रुद्राक्ष दीक्षा फ्री में दी जा रही है। यह आपके घर तक फ्री में पहुंचाई जाएगी।

यह सद्गुरु द्वारा आदियोगी की कृपा प्राप्त करने के लिए एक साधन के रूप में भेट की जा रही है। विशेष रूप से प्राण-प्रतिष्ठित कर 10 लाख से अधिक रुद्राक्षों के साथ अन्य सामग्री भी फ्री में वितरित की जाएंगी।

यह आदियोगी शिव की साधना में व्यक्ति की सहायता करेंगी। फ्री रुद्राक्ष दीक्षा के रूप में आप तक एक पैकेज पहुंचा जाएगा। जिसमें एक या तीन रुद्राक्ष, विभूति, अभय सूत्र और आदियोगी की एक तस्वीर शामिल रहेंगी। साथ ही एक निर्देशिका भी रहेगी, जिसमें इन तीनों के उपयोग की विस्तृत जानकारी रहेगी।

रुद्राक्ष को कैसे धारण करें- विधि, नियम एवं सावधानियां

रुद्राक्ष को कैसे धारण करें

रुद्राक्ष एक पेड़ के सूखे बीज होते हैं, जो हिमालय पर्वत श्रृंखला के चुनिंदा स्थानों में पाया जाता है। शारीरिक और मानसिक संतुलन बनाए रखने में रुद्राक्ष बहुत सहायक है। रुद्राक्ष रक्तचाप को कम करने, नसों को शांत करने और त्वचा के स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद कर सकता है।

रुद्राक्ष के कुछ अन्य लाभों में अंतर्ज्ञान की वृद्धि, ध्यान में सहायता, आभा की सफाई और नकारात्मक ऊजार्ओं से सुरक्षा प्रदान करना शामिल है। किसी भी स्तर का व्यक्ति रुद्राक्ष को धारण कर सकता है। यह विशेष रूप से फायदेमंद तब हो सकता है जब इसे बच्चों, छात्रों और बुजुर्गों द्वारा पहना जाता है।

रुद्राक्ष को हमेशा अपने गले में पहनना चाहिए। स्नान के दौरान अगर आप गर्म जल और साबुन का उपयोग करे तो रुद्राक्ष को निकाल कर स्वच्छ कपड़े या रुई में रख सकते है। रुद्राक्ष को धारण करने से पहले उन्हें घी में 24 घंटे के लिए डुबोएं और फिर, उन्हें 24 घंटे के लिए दूध में भिगो दें।

उन्हें पानी से धोकर एक साफ कपड़े से साफ कर दें। हर छह महीने में एक बार इस तरह से रुद्राक्ष को शुद्ध किया जाना चाहिए। रुद्राक्ष को तांबे की चेन के साथ भी धारण कर सकते है। तांबा एक धातु है जो एक तरह की ऊर्जा बना सकता है और ध्यान में सहायता कर सकता है। इसे शरीर के संपर्क में लाने से हमारी ऊर्जा प्रणाली को मजबूत और स्थिर बनाने में मदद मिल सकती है।

विभूति क्या है और कैसे इसका उपयोग करें

विभूति क्या है और कैसे इसका उपयोग करें

विभूति को पवित्र राख भी कहा जाता है। शिव को अक्सर सिर से पैर तक राख से ढंका दशार्या जाता है, जो जीवन की नश्वर प्रकृति का प्रतीक है। विभूति को शरीर पर ठीक से लगाया जाए, तो यह ऊर्जा संचारित करने के लिए एक बेहतरीन माध्यम के रूप में कार्य करती है। विभूति को गोबर या चावल की भूसी से बनाया जा सकता है।

ईशा विभूति को प्राण-प्रतिष्ठित किया जाता है। विभूति को अनामिका और अंगूठे के बीच लिया जाता है और भौंहों के बीच, जिसे अग्ना चक्र कहा जाता है, गले के गड्ढे में, जिसे विशुद्धि चक्र कहा जाता है और छाती के बीच में, जहाँ पसली की हड्डियाँ मिलती हैं, जिसे अनाहत चक्र कहा जाता है। स्पष्टता बढ़ाने के लिए विभूति को आज्ञा चक्र पर लगाया जाता है।

अपने अस्तित्व या होने के तरीके में एक निश्चित शक्ति स्थापित करने के लिए विशुद्धि चक्र में, और अपने जीवन में प्रेम और भक्ति के आयाम लाने के लिए अनाहत चक्र पर भी लगाया जाता है।

क्या है अभय सूत्र (रक्षा सूत्र)

क्या है अभय सूत्र

अभय सूत्र एक विशेष रूप से प्राण-प्रतिष्ठित किया गया सूती धागा है जिसे कलाई के चारों ओर बांधा जाता है। अभय का शाब्दिक अर्थ है बिना किसी भय के, और यह सूत्र भय पर काबू पाने और महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने में सहायक है। महिलाएं इसे अपनी बाईं कलाई पर तथा पुरुषों दाहिनी कलाई पर बांधे।

इसे कम से कम 40 दिनों तक पहनना चाहिए। इसे उतारकर (कृपया इसे काटें नहीं) हटाया जाना चाहिए। इसे गीली मिट्टी में दफनाकर या इसे जलाकर नष्ट कर सकते है।

आदियोगी इमेज (पोस्टकार्ड साइज तस्वीर)

आदियोगी इमेज (पोस्टकार्ड साइज तस्वीर)

शास्त्रों के अनुसार 15 हजार साल से भी पहले, सभी धर्मों के आने से पहले, सबसे पहले योगी आदियोगी ने अपने सात शिष्यों, सप्तऋषियों को योग विज्ञान की दीक्षा दी थी।

उन्होंने 112 तरीके सिखाए जिनके माध्यम से मनुष्य अपनी सीमाओं को पार कर सकता है और अपनी परम क्षमता तक पहुँच सकता है। ईशा योग केंद्र में आदियोगी का 112-फुट का चेहरा सभी को यह बात एक शक्तिशाली तरीके से याद दिलाता है और प्रेरित करता है।

मोबाइल से कैसे करें अप्लाई

फ्री रुद्राक्ष दीक्षा पाने के लिए मोबाइल किसी भी आनलाइन तरीके से ईशा योग केन्द्र की Official Website को Open करें। नीचे दी गई लिंक पर क्लिक करें –

Rudraksha Registration Link

यहां से आप Website के Home Page पर पहुंंच जाएंगे। जहां रुद्राक्ष दीक्षा का इंटर फेस दिखाई देंगा। यहीं पर नि:शुल्क दीक्षा प्राप्त करने के लिए एक बटन दिया गया है। जिसे क्लिक करते ही आप सीधे रुद्राक्ष दीक्षा रजिस्ट्रेशन के पेज पर पहुंंच जाओंगे। फोटो में दिखाई स्टेप्स फॉलो करें-

rudraksha diksha registration steps 01

यहां पर सबसे पहले आपको कितने रुद्राक्ष के लिए रजिस्ट्रेशन करवाना है यह बताना होगा। यहां पर एक से लेकर तीन रुद्राक्ष के आप्शन आपको मिलेंगे। इसके बाद इंटर फूल नेम, ईमेल ऐड्रस दर्ज करना होगा। इसके नीचे जिस स्थाना पर आप रुद्राक्ष दीक्षा पैकेज मंगवाना चाहते हो उसकी जानकारी देना होगी।

rudraksha diksha registration steps 01

जिसमें पीन कोड, घर का नंबर, एरिया/ कॉलोनी/स्ट्रीट/ सेक्टर/गांव, लेंडमार्क, तालुका, सिटी, डिस्ट्रीक्ट, स्टेट और कंट्री की डिटेल देनी होगी। अंत में वेरिफिकेशन के लिए अपना मोबाइल नंबर और व्हाट्सएप नंबर दर्ज करना होगा। ट्रम्स और कंडीशनस पर क्लिक करते ही एक ओटीपी आपके मोबाइल पर प्राप्त होगा। जिसे कंफर्म करते ही आपका रजिस्ट्रेशन हो जाएगा।

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