उज्जैन तड़काभैंकर
उज्जैन में फरारी काट रहा था इंदौर का भू माफिया
7 महीने से तलाश रही थी इंदौर पुलिस गिरफ्तारी पर था 30 हजार का इनाम
उज्जैन। इंदौर का कुख्यात भू माफिया चंपू अजमेरा उज्जैन में फरारी काट रहा था। इंदौर क्राइम ब्रांच की टीम ने उसे उज्जैन से इंदौर जाते समय दबोच लिया। वह अपनी कार क्रमांक एमपी 09 डब्ल्यू ए 2930 को चला कर इंदौर जा रहा था। चंपू पर जमीन संबंधित 18 मामले दर्ज हैं। पिछले 7 माह से इंदौर पुलिस उसको तलाश रही थी।
गौरतलब है कि इंदौर का भू माफिया चंपू उर्फ रितेश पिता पवन अजमेरा निवासी पालीवाल नगर को इंदौर क्राइम ब्रांच और बाणगंगा पुलिस ने घेराबंदी कर सांवेर रोड पर दबोच लिया। वह अपनी सफेद रंग की कार में सवार होकर इंदौर की ओर आ रहा था। आरोप है कि चंपू और अन्य के खिलाफ कालिंदी गोल्ड सिटी को लेकर 4 मामले दर्ज हैं। इनमें से एक मामले में पहले ही उसकी गिरफ्तारी हो चुकी है। जबकि शेष मामलों में गिरफ्तारी होना शेष है। इसके अलावा लसूडिया थाना में फिनिक्स टाउनशिप के मामले में भी चंपू के खिलाफ 18 प्रकरण दर्ज हैं। इसके अलावा सेटेलाइट हिल्स कॉलोनी को लेकर तेजाजी नगर और तुकोगंज थाने में भी एक एक मामला दर्ज है। कुल मिलाकर चंपू पर 18 प्रकरण दर्ज है जिनमें से 11 में वह फरार था। आरोप है कि उसने अपने परिवार के साथ मिलकर सभी टाउनशिप और कॉलोनियों में लोगों के साथ करोड़ों रुपए की धोखाधड़ी की है। इंदौर पुलिस दिसंबर 2019 से भू माफिया चंपू की तलाश कर रही थी।
भू-माफिया अभियान के दौरान हो गया था फरार
पुलिस का कहना है कि पिछले साल इंदौर में चलाए गए भू-माफिया अभियान के दौरान चंपू फरार हो गया था। इस दौरान उसने उत्तर प्रदेश और नेपाल के सीमावर्ती क्षेत्रों में घूमने के साथ-साथ उज्जैन में भी फेरारी काटी है। पुलिस के अनुसार फिनिक्स टाउनशिप में डायरेक्टर तथा कालिंदी गोल्ड, सेटेलाइट हिल्स जैसी परियोजनाओं में उसने इन्वेस्टर के रूप में काम किया है। चंपू ने प्लाट धारकों को झूठा आश्वासन देकर उनसे करोड़ों रुपए हड़प लिए हैं।
जो प्लाट नहीं था उसकी भी कर दी रजिस्ट्री
पुलिस के अनुसार चंपू अजमेरा ने बड़े ही शातिर आना तरीके से लोगों के साथ धोखाधड़ी की वारदातों को अंजाम दिया। हालांकि कई लोगों की शिकायत के बाद उसकी असलियत भी सामने आ गई थी। चंपू ने साल 2009 में इंदौर के रहने वाले एक परिवार को एक प्लाट बेचा था। चंपू ने बाकायदा उसकी रजिस्ट्री भी करवा कर दी थी। परिवार जब प्लाट पर कब्जा करने पहुंचा तो उन्हें जानकारी मिली की उक्त नंबर का प्लाट कॉलोनी में मौजूद ही नहीं है। इसके बाद परिवार के लोगों ने उसके खिलाफ प्रकरण दर्ज करवाया था।
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