शिप्रा नदी हो स्वच्छ -दत्त अखाड़ा घाट पर धरने पर बैठे संत
शिप्रा नदी में मिल रहा गंदे नालों को पानी, कैसे करें मोक्षदायनीय में स्नान
उज्जैन। शिप्रा नदी शुद्धिकरण में करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद भी इंदौर, देवास और उज्जैन के नालों का पानी नदी में मिल रहा है। शिप्रा नदी की इस दुर्दशा से नाराज संत समाज ने आंदोलन शुरू कर दिया है। इसी क्रम में संतों ने शिप्रा नदी के तट पर स्थित दत्त अखाड़ा घाट पर धरने पर बैठ गए । संतों ने कहा की वे शिप्रा और शहर की पवित्रता के लिए हर मोर्चे पर संघर्ष करेंगे।
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षटदर्शन साधु समाज, संभागीय परिषद के बैनरतले गुरूवार सुबह 11 बजे दत्त अखाड़ा घाट पर धरना देकर संतो ने आंदोलन का शंखनाद किया। श्रीक्षेत्र पंडा समिति भी इस आंदोलन में सहभागी बने। षट्दर्शन संत मंडल के वरिष्ठ सदस्य व दत्त अखाड़ा के गादीपति पीर सुंदरपुरी जी व महंत डा. रामेश्वरदास, महंत भगवानदास जी ने संयुक्त रूप से बताया कि शिप्रा के शुद्धीकरण की कार्ययोजना आरंभ नहीं होती तब तक धरना जारी रहेगा। प्रतिदिन उज्जैन के सभी अखाड़ो, मठ-मंदिरों व आश्रमों के संत प्रतिदिन प्रात: 11 बजे से दोपहर 2 बजे के बीच दत्त अखाड़ा घाट पर धरना देंगे। प्रतिदिन धरने में सहभागी बनने के लिए उज्जैन जिले की धार्मिक, सामाजिक संस्थाओं के पदाधिकारियों व सदस्यों को आमंत्रित किया जाएगा।
चरणबद्ध चलेगा आंदोलन
षडदर्शन साधु समाज मंडल परिषद उज्जैन के महंत डॉ. रामेश्वरदास के अनुसार शिप्रा नदी और शहर की पवित्रता को लेकर ठोस कार्य योजना लागू करने के उद्देश्य से चरणबद्ध आंदोलन शुरू करने का निर्णय लिया गया। इसी क्रम में गुरुवार से दत्त अखाड़ा घाट पर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया गया है। इसमें सभी प्रमुख 13 अखाड़ों, मठों, मंदिरों के महंतों और संतों से जुड़ी बैठक यहां धरना देगी।
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नदी में मिल रहा दूषित जल
संतों का कहना है कि शिप्रा नदी का पानी पीने लायक नहीं है। नदी में कोई कैसे स्नान कर सकता है। शिप्रा में जगह-जगह नालों से दूषित पानी मिल रहा है। इसकी शुद्धिकरण की मांग करते हुए संतोंं को तीस-चालीस साल हो गए। लेकिन सरकार ने ध्यान नहीं दिया। अब हम यहां से तब तक नहीं उठेंगे जब तक मुख्यमंत्री से लिखित में आश्वासन नहीं मिल जाता। हड़ताल जारी रहेगी।
सालों से कर रहे मांग
अन्य संतों ने कहा कि वैदिक सनातन के पदचिन्हों पर चलने का दावा करने वाली भारतीय जनता पार्टी धर्म की रक्षा में क्यों पीछे है। यदि शिप्रा शुद्धिकरण को लेकर जल्द ही सार्थक कदम नहीं उठाए गए तो मप्र सरकार को परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहना चाहिए। 30 से 40 साल से लड़ रहे हैं। कई नेताओं-मुख्यमंत्रियों ने मंथन किया लेकिन रास्ता नहीं निकला।
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यह है मांग
त्रिवेणी से कालियादेह महल तक शिप्रा नदी में कोई दूषित जल स्रोत नहीं मिला। इंदौर के प्रदूषित पानी को शिप्रा नदी में मिलने से तत्काल रोका जाए। इसे खुली नहर के माध्यम से शिप्रा के पानी में मिलने से रोकना चाहिए। इंदौर के दूषित पानी को शिप्रा में मिलने से रोकने के लिए स्थाई व्यवस्था की जाए। शिप्रा में शहर के सभी नालों के दूषित पानी को मिलने से रोका जाए ताकि शिप्रा के पानी को पीने और नहाने के काम में लाया जा सके।
शहर की पवित्रता बनाए रखने के लिए अन्य प्रतिबंधित वस्तुओं की खपत और बिक्री पर रोक लगा दी जानी चाहिए। पढ़ते रहे thetadkanews.com देखें खबरे हमारे यूट्यूब चैनल The Tadka News पर, जानिए देश-विदेश और अपने प्रदेश, बॉलीवुड की खबरें, लेटेस्ट टेक्नोलॉजी, सरकारी योजनाएं, सरकारी नौकरी अलर्ट, जुड़िये हमारे फेसबुक Tadka News पेज से…
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