UJJAIN-मास्टर प्लान में मास्टरी…सांसद के पत्र के बाद जागा प्रशासन
सिंहस्थ भूमि पर कालोनी साधू-संतों ने भी जताया विरोध, अखाड़ा परिषद मास्टर प्लान पर लगायेंगी आपत्ति
उज्जैन। Thu-21 jan 2021
शहर का मास्टरप्लान बनाने वाले मास्टरमाइंडो ने सिंहस्थ 2016 में सर्वाधिक उपयोग में आने वाली सिंहस्थ बायपास से लगे सांवराखेड़ी, जीवनखेड़ी, दाऊद खेड़ी की जमीनो को सिंहस्थ मुक्त करते हुए आवासीय घोषित कर दिया है। जिस पर सांसद अनिल फिरोजिया ने अपत्ति लेते हुए मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर शांति पैलेस ब्रिज से लेकर मोहनपुरा तक कि भूमियों को सिंहस्थ के लिए अधिसूचित करने की मांग की थी। जिस पर संज्ञान लेते हुए नगरीय प्रशासन एवं आवास मंत्रालय द्वारा कलेक्टर को पत्र लिखकर उक्त भूमियों को सिंहस्थ 2028 के लिए अधिग्रहित करने की बात कही है। इस पत्र के बाद भू माफियाओं में हड़कंप मच गया है।
शहर में हर 15-20 सालों में शहर विकास को लेकर एक मास्टरप्लान बनाया जाता है, जिसमें शहर विकास के साथ ही सिंहस्थ को भी ध्यान में रखा जाता है, लेकिन इस बार 2021 से 2035 तक जो मास्टरप्लान तैयार किया गया है उसमें शहर के भूमाफियाओ के ईशारे पर सिंहस्थ के लिए आरक्षित भूमियों को भी मास्टर प्लान में आवासीय घोषित कर दिया गया है, वहीं इसके पहले भूमाफियाओ द्वारा सिंहस्थ बायपास मार्ग पर किसानों को कुंभ, कृषि भूमि और पीएसपी भूमि का डर दिखाकर कम दामों भू-माफियाओं और कालोनाईजरों ने जमीनें खरीद ली गई है।
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सांसद ने लगाया ब्रेक
सांठगांठ कर नए मास्टरप्लान में आवासीय करवाई गई सिंहस्थ के लिए आरक्षित भूमियों पर सिंहस्थ 2016 में सेटेलाइट टाऊन, पार्किंग, वाच टॉवर बनाये गए थे, शिप्रा से नजदीक होने के कारण यह क्षेत्र कुंभ के लिहाज से बहुत ही उपयुक्त और उपयोगी है, लेकिन भूमाफिया यहां एक नया शहर बसाना चाहते है जिस पर सांसद अनिल फिरोजिया ने ब्रेक लगा दिया है, सांसद फिरोजिया ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर सिंहस्थ बायपास की दोनो ओर की जमीनो को अधिग्रहित करने की मांग की है जिस पर संज्ञान लेते हुए नगरीय प्रशासन मंत्रालय ने भी कलेक्टर आशीष सिंह को पत्र लिखकर उचित कार्यवाही के निर्देश दिए है।
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साधू-संतों ने किया विरोध
इधर अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी, महामंडलेश्वर अतुलेशानंद सरस्वती (आचार्य शेखर) एवं महामंडलेश्वर शांति स्वरूपानन्द ने भी प्रशासन के इस मास्टरप्लान पर आपत्ति दर्ज कराई है। इन्होंने कहां कि 2028 के लिए पहले की अपेक्षा और अधिक जमीनों की आवश्यकता होगी, सभी साधु संत शिप्रा नदी के निकट शिविर लगाना चाहते है, 2016 में कोई भी शिप्रा से दुर जाने को तैयार नही था। इसलिए सिंहस्थ 2028 को दृष्टिगत रखते हुए शिप्रा नदी से लगी सम्पूर्ण शहरी भूमियों को अधिग्रहित करने की आवश्यकता है। उक्त क्षेत्र को सिंहस्थ के लिए अधिसूचित करना चाहिए हम भी पत्र लिखकर प्रशासन से मांग करेंगे कि यहाँ की जमीनें सिंहस्थ के लिए आरक्षित करे। सांसद ने जो पत्र मुख्यमंत्री को लिखकर सिंहस्थ भूमि को आरक्षित करने की मांग की है, उसका हम समर्थन करते है।
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भूमाफिया भी हुआ सक्रिय
सूत्रों का दावा है कि मास्टरप्लान को लेकर दावे आपत्ति का दौर चल रहा है। सांसद के साथ ही अखाड़ा परिषद और साधु संत भी अपनी आपत्ति दर्ज करा रहे है। जबकि दूसरी ओर भूमाफिया और कालोनाईजर भी उक्त क्षेत्रों की जमीनों को अधिग्रहण से मुक्त कराने के लिए पूरी ताकत लगा रहे है, इसके पीछे मुख्य उद्देश्य यह है कि जो जमीनें किसानों से महज लाखों रुपये में खरीदी गई थी, वह जमीन आवासीय होते ही उनकी कीमत करोड़ों तक पहुंच गई है।
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सिंहस्थ के लिए हो आरक्षित
मेरे द्वारा मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर शांति पैलेस ब्रिज से लेकर मोहनपुरा तक कि भूमियों को सिंहस्थ के लिए अधिसूचित करने की मांग की थी। जिस पर शासन का पत्र आया है। सिंहस्थ महापर्व में आने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं और साधु-संतों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए उक्त भूमि को सिंहस्थ के लिए आरक्षित करना अनिवार्य होगा।
अनिल फिरोजिया, सांसद
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